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Monday, March 9, 2015

केवल वेद ही हमारे धर्मग्रन्थ हैं ।

वेद संसार के पुस्तकालय में सबसे प्राचीन ग्रन्थ हैं ।
वेद का ज्ञान सृष्टि के आदि में परमात्मा ने
अग्नि , वायु , आदित्य और अंगिरा – इन चार ऋषियों को एक साथ दिया था ।
वेद मानवमात्र के लिए हैं ।

वेद चार हैं ----

��१. ऋग्वेद – इसमें तिनके से लेकर ब्रह्म – पर्यन्त सब पदार्थो का ज्ञान दिया हुआ है ।
इसमें १०,५२२ मन्त्र हैं ।
मण्डल – १०
सूक्त -१०२८
ऋचाऐं – १०५८९ हैं ।
शाखा – २१
पद – २५३८२६
अक्षर - ४३२०००
ब्रह्मण - ऐतरेय
उपवेद – आयुर्वेद

��२. यजुर्वेद – इसमें कर्मकाण्ड है । इसमें अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन है ।
इसमें १,९७५ मन्त्र हैं ।
अध्याय – ४०
कण्डिकाएं और मन्त्र -- १,९७५
ब्रह्मण – शतपथ
उपवेद - धनुर्वेद

��३. सामवेद – यह उपासना का वेद है ।
इसमें १,८७५ मन्त्र हैं ।
ब्रह्मण – ताण्ड्य या छान्दोग्य ब्रह्मण ।
उपवेद - गान्धर्ववेद

��४. अथर्ववेद – इसमें मुख्यतः विज्ञान – परक मन्त्र हैं ।
इसमें ५,९७७ मन्त्र हैं ।
काण्ड - २०
सूक्त – ७३१
ब्रह्मण – गोपथ
उपवेद - अर्थवेद

��उपवेद – चारों वेदों के चार उपवेद हैं । क्रमशः – आयुर्वेद , धनुर्वेद , गान्धर्ववेद और अर्थवेद ।

��उपनिषद – अब तक प्रकाशित होने वाले उपनिषदों की कुल संख्या २२३ है , परन्तु प्रामाणिक उपनिषद ११ ही हैं । इनके नाम हैं --- ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छान्दोग्य , बृहदारण्यक और श्वेताश्वतर ।

��ब्राह्मणग्रन्थ – इनमें वेदों की व्याख्या है ।
चारों वेदों के प्रमुख ब्राह्मणग्रन्थ ये हैं ---
ऐतरेय , शतपथ , ताण्ड्य और गोपथ ।

��दर्शनशास्त्र – आस्तिक दर्शन छह हैं – न्याय , वैशेषिक , सांख्य , योग , पूर्वमीमांसा और वेदान्त ।

��स्मृतियां – स्मृतियों की संख्या ६५ है , परन्तु प्रक्षिप्त श्लोकों को छोङकर मनुस्मृति ही सबसे अधिक प्रमाणिक है । इनके अतिरिक्त आरण्यक , धर्मसूत्र , गृह्यसूत्र , अर्थशास्त्र , विमानशास्त्र आदि अनेक ग्रन्थ हैं ।

�� वेदों के छह वेदांग – शिक्षा ,कल्प , निरूक्त , व्याकरण , ज्योतिष और छन्द ।

�� वेदों के छह उपांग – जिन को छः दर्शन या छः शास्त्र भी कहते हैं ।
१. कपिल का सांख्य
२. गौतम का न्याय
३. पतंजलि का योग
४. कणाद का वैशेषिक
५. व्यास का वेदान्त
६. जैमिनि का मीमांसा

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